Monday, July 24, 2006

सम्पूर्ण रामायण

साथियों मुझे बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि श्री रामचरित मानस को सम्पूर्ण रूपेण यूनिकोड मे इन्टरनैट पर उपलब्ध करा दिया गया है। इस संकलन मे मुझे भाई रवि रतलामी और अनूप शुक्ला का बहुत बहुत सहयोग प्राप्त हुआ। इनके भागीरथी प्रयासों की ही वजह से आज यह संकलन पूर्ण रूप मे आपके सामने प्रस्तुत हो सका है।

साथ ही मै बताना चाहूंगा कि श्रीरामचरित मानस का संकलन अपने पुराने स्थान से उठकर अपने नये पते पर पहुँच गया है। आप सभी साथियों से निवेदन है कि अपने सुझाव एवं आलोचनाए नए पते पर दें।

धन्यवाद
जीतेन्द्र चौधरी